Thursday, April 23, 2015

किसान के बारे में बिलकुल नहीं













हर संवेदना के
अपने भगवान होते हैं
दरी के नीचे अखबार से
काटकर छुपाए हुए भगवान !
घुस आते हैं जो संवेदक की
सहस्र वर्ष पुरानी
ब्रह्माण्डीय कोशिकीय़ स्मृति के छज्जे फ़ांदकर ! 

हर वक्त वो करते रहते हैं
संवेदना का यौन शोषण !
अधिकार भी है उन्हें
चूंकि वे भगवान हैं
विचार सम्मत
बजार सम्मत !
अखबार सम्मत !

हर संवेदना का
अपना बैंक अकांउन्ट
बैंक बैलेन्स भी होता है
जांचते रहते है जिन्हें
जहरीले केंचुए
केन्द्रिय विश्वविद्यालयों,
संस्थानों, गैर सरकारी संस्थानों, 
खबरों के घूर में पलने वाले  !
और जारी करते रहते हैं
संवेदनाओं के बैंक बैलेन्स के हिसाब से
उनके गहरे, उथले , तीव्र होने के
ऐतिहासिक अकादमिक दस्तावेज
जो अन्ततः
विश्व-समस्याओं के निदान हेतु प्रतिबद्ध
महान यहूदी चिन्ताओं का आधार बनेगी !

हर संवेदना के
अपने अपने साहित्य 
अपने अपने ब्रांडेड  कवि भी हुआ करते हैं !
हस्तक्षेप के कवि,
रोध, प्रतिरोध के कवि....
तरह तरह के कवि...
द्वार पर अपने पाले
विचारधारा/(ओं) की एक कुतिया ...

ओ ! मरे हुए किसान की जिन्दा आत्मा !
ट्विटर पर भेजूंगा मैं तुमको भागवत का सार...
नैंनम्‍ छिन्दति शस्त्राणि....
नैंनम्‍ दहति पावकः...
उससे पहले ,
छोटे से ब्रेक में...

आओ ! देखो !
तुम्हें ज्ञात हो न ज्ञात हो !
बरसात ने नहीं ,
 बरबाद फसल ने नहीं , 
तुममें दफ़्न ऐसी ही बहुत सी संवेदना ने
ललकारा था तुम्हारी आत्महन्ता आस्था को
जिसका भगवान
जिसका बैंक अकाउन्ट
जिसके कवि
जहरीले केचुऎ निकाल लाये हैं
दरी के नीचे से ,
सड़ान्ध भरे कमरों से !
बस्साती बजबजाती लाईब्रेरियों से ! ! !

अब तुम्हारे बाद ,
हर बार की तरह,
किसी वैयक्तिक आग्रह से मुक्त
तुम्हारी  यह खोजी जा चुकी संवेदना ही दोषी है
सब घात , प्रतिघातों की
पापॊं, अत्याचारॊं की...
इसलिए
यह खोजी जा चुकी संवेदना
अब रंगी जायेगी,
पोती जायेगी, सरे आम बाजार में
ढकी हुयी नंगी बेची भी जाएगी...
इसी के सहारे
नया इतिहास लिखा जाएगा..
पृथ्वी के नये आकार की खोज की जायेगी ..
सौर मण्डल में ग्रहों की संख्या
प्रशान्त महासागर की गहराई ..
सब बदल दी जाएगी...

ओ ! मरे हुए किसान की जिन्दा आत्मा !
तुम झुको !
दर्शन करो
अपनी संवेदना के इस नये भगवान के !
लगाओ अंगूठा
अपनी संवेदना के बैंक बैलेन्स के कागजात पर  ,
अगर आत्मा रहते हुए भी
बचा रह गया हो पास तुम्हारे तब......

और हां ! अगली बार
जन्मते हुए
ठीक से चुनना अपनी संवेदनाऎ!
बचना
भगवानों से,
बैंक बैलेन्सों से,
कवियों से,
जहरीले केचुओं से......
हां ! इन्हीं में से कुछ
मुझसे भी...... 

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